A Secret Weapon For Shodashi
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Local community feasts Participate in a big function in these situations, exactly where devotees occur collectively to share foods That always include common dishes. This kind of foods celebrate each the spiritual and cultural components of the festival, boosting communal harmony.
नवयौवनशोभाढ्यां वन्दे त्रिपुरसुन्दरीम् ॥९॥
देयान्मे शुभवस्त्रा करचलवलया वल्लकीं वादयन्ती ॥१॥
दक्षाभिर्वशिनी-मुखाभिरभितो वाग्-देवताभिर्युताम् ।
पद्मरागनिभां वन्दे देवी त्रिपुरसुन्दरीम् ॥४॥
चतुराज्ञाकोशभूतां नौमि श्रीत्रिपुरामहम् ॥१२॥
सर्वसम्पत्करीं वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥३॥
यदक्षरमहासूत्रप्रोतमेतज्जगत्त्रयम् ।
Devotees of Shodashi have interaction in a variety of spiritual disciplines that aim to harmonize the mind and senses, aligning them with the divine consciousness. The next details define click here the development to Moksha through devotion to Shodashi:
Sati was reborn as Parvati to your mountain king Himavat and his spouse. There was a rival of gods named Tarakasura who could be slain only through the son Shiva and Parvati.
करोड़ों सूर्य ग्रहण तुल्य फलदायक अर्धोदय योग क्या है ?
यामेवानेकरूपां प्रतिदिनमवनौ संश्रयन्ते विधिज्ञाः
इसके अलावा त्रिपुरसुंदरी देवी अपने नाना रूपों में भारत के विभिन्न प्रान्तों में पूजी जाती हैं। वाराणसी में राज-राजेश्वरी मंदिर विद्यमान हैं, जहाँ देवी राज राजेश्वरी(तीनों लोकों की रानी) के रूप में पूजी जाती हैं। कामाक्षी स्वरूप में देवी तमिलनाडु के कांचीपुरम में पूजी जाती हैं। मीनाक्षी स्वरूप में देवी का विशाल भव्य मंदिर तमिलनाडु के मदुरै में हैं। बंगाल के हुगली जिले में बाँसबेरिया नामक स्थान में देवी हंशेश्वरी षोडशी (षोडशी महाविद्या) नाम से पूजित हैं।
॥ अथ त्रिपुरसुन्दर्याद्वादशश्लोकीस्तुतिः ॥